Sunday, February 22, 2015

लाल पत्थर !

बिखेरे हुए हैं कुछ लाल पत्थर 
और आज सिर्फ ख़ामोशी का शोर है 

कल यहाँ कई झंडे लहरा रहे थे !

No comments:

Post a Comment

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...