Friday, June 1, 2012

कोई हमको जगाता क्यूँ नहीं

अजनबी  कारवां  के  वास्ते  रात  जग  के  काटी  है 
चाँद  से  गुफ्तगू  करके   ख़्वाबों   को  भी   बांटी   है 
जब  सूरज  निकल  आया  तो  कोई  हमको  जगाता क्यूँ  नहीं 

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