Sunday, April 1, 2012

दिल की बात


इक   पत्ता    आँगन  में  उड़ते हुए   युहीं  आ  गया  
उसे  अपनी  नज्मो  वाली  किताब  में  महफूज़  रख  दिया  


आज  पन्ने   पलटे   तो  उसकी  दिल  की  बात  उभर  आई  थी  ....

No comments:

Post a Comment

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...