Wednesday, December 14, 2011

डरते थे !

 नूर-ए-नज़र उनकी   पाने से डरते थे
सर-ए -महफ़िल मुस्कुराने से डरते थे!!! 

यूँ  तो  तसव्वुर  में  भी  वो  थे  मौजूद 
हाल-ए-दिल मगर सुनाने  से  डरते  थे !!!

खुशियाँ ढूँढी  थी  उनकी  हर ख़ुशी में 
ना लग जाए नज़र ,ज़माने से डरते थे !!!

चुप चाप  रह कर सुना उनके दर्दों को 
मरहम  उन्हें पर ,  लगाने से डरते थे !!

तिनके तिनके कर बीते गए थे रैना  


हम उनको सदा खो जाने से डरते थे !!!

ए "नील" हकीकत में फ़रिश्ता मिला था 
पर ख्वाब हसीं हम सजाने से डरते थे !!!







3 comments:

  1. बहुत खूब.....बेहतरीन ग़ज़ल....

    ReplyDelete
  2. गजब का शेर , मुबारक हो

    ReplyDelete
  3. bhai gajab ke ahasas..... bahut hi badhiya

    ReplyDelete

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...