Saturday, June 25, 2011

जो कभी एक थे आज उनसे ही ये सारा ज़माना बन गया ...

राह  में  अकेला  नहीं  है तू  मुसाफिर
तुमने  पुकारा  हमको
हमने  तुमको आवाज़ दी
और इक  कारवां  बन  गया

जो  कभी  एक  थे  आज  उनसे  ही
ये सारा  ज़माना    बन  गया  ...


मुश्किलों  में  अपनों  का  साथ
हो  तो  हर मुश्किलें  हार  जाते हैं 
अमावस में चाँद न हो  मगर
तारे फिर भी टिमटिमाते हैं

खुशियों  में  साथ  दें  हम गर
तो जीवन  एक  गीत  सुहाना  बन  गया  ...
मिलते  नहीं  मेहरबान इस पत्थर की शहर में

जो मिल सके तो समझो आशियाना बन गया ...

जो  कभी  एक  थे  आज  उनसे  ही
ये सारा  ज़माना    बन  गया  ...


मन  मंदिर  में  ही तो  इश्वर  रहते हैं
हम उनसे अलग कब होते हैं 

जो बस गया इस मंदिर में 
वो ही कबीरा ,वो ही रैदास  
वो ही मीरा  और सूरदास सा 
दीवाना  बन  गया  ...
वो खुद में ही इक शम्मा
और खुद में ही
परवाना बन गया ...

जो  कभी  एक  थे  आज  उनसे  ही
ये सारा  ज़माना    बन  गया  ...

मन  की  तरंगो  को  सुन  कर  चले  आओ
आओ खुशबू   है यहाँ हरदम 
इस गुलशन में समा जाओ 

जो मन मिल सकें तो समझना 
ज़िन्दगी इक  नेक  फ़साना  बन  गया ...

जो  कभी  एक  थे  आज  उनसे  ही
ये सारा  ज़माना    बन  गया  ...



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