Tuesday, May 3, 2011

क्यों तुने ऐसा क्यों किया कठोर !

 तेरे मेरे सपने कभी एक से न थे
पर फिर भी सपने देखने लगा 

जागता हुआ भी देखा 
बहुत गलत किया न 
सपने देखने नहीं चाहिए न !

हाँ, समझा की सपनो में 
ही ज़िन्दगी गुजार दूंगा 

तेरे लिए सब कुछ छोर जाऊंगा 
अपनों के सपने भी पुरे हो जायेंगे 
ऐसा ही विश्वास था 

उस अदृश्य शक्ति पर 
इतना तो आस था 

पर सपना पूरा हो जाए 
इससे पहले ही तुने 
मुझे जगा दिया 

तू नींद से न जाने कब जागी 
और मुझको भी जगा दिया 

क्यों तुने ऐसा क्यों किया कठोर !

शायद उस सपने के एक भयानक अंत से 
मुझे बचाने के लिए 

शायद ..शायद ....

निशांत (चित्र मेरे भाई के द्वारा बनायीं गयी है ...गूगल चाचा की नहीं है )

1 comment:

  1. sapna poora ho, usse pahle tumne jagaya ... sapnon ka saath kyun todaa ..... bahut hi achhi rachna

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