Saturday, May 14, 2011

मतवाले पथिक की तलाश !

कुछ पत्तियां उसकी सुख गयी
कुछ बादल आकर चले गए

इंतज़ार में बारिश के
ओस की बूंदे संबल बने

न जाने उसका क्या विश्वास है
किस संजीवनी की उसको आस है

पुष्प दिए फल भी बाँटें
फिर न जाने क्यों उदास है

देखो उसके बीजों ने
कितने उपवन को हर्षाया है

उस पुराने नीम के शाख को
मधुर सम्मान दिलाया है

क्यों भटके है उसका मन
इतना बैभव जब उसके साथ है

जीवन कितने दिए न जाने
कितने अमृत से उसके पात हैं

अपने हरे भरे आँचल से
कितने पथिको को छाया दी

दो रोटी मिले गरीबों को
अपने तन की काया दी

अब आएगा वो काल दूत
हलाहल का पान कराएगा

नीम के पेड़ को चिर निद्रा में
वो मधुर नींद सुलाएगा

जाते जाते उस पथिक को
छाँव कृपा की वो दे देगी

मतवाले पथिक की तलाश को
सार्थक वो नीम करेगी ..

मतवाले पथिक की तलाश को
सार्थक वो नीम करेगी ...


No comments:

Post a Comment

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब

मेरी जुस्तजू पर और सितम नहीं करिए अब बहुत चला सफ़र में,ज़रा आप भी चलिए अब  आसमानी उजाले में खो कर रूह से दूर न हो चलिए ,दिल के गलियारे में ...