Saturday, May 21, 2011

कहीं दूर चला जाता हूँ

ना ढूंढना अब , कहीं दूर चला जाता हूँ 
राहों को मोड़  कहीं दूर चला जाता हूँ 

तेरे दिए  बस वो पल हैं ज़ेहन में 
उनके सहारे कहीं दूर चला जाता हूँ 

तू याद रखना  उस जुदाई को बेशक 
मिलन को लिए कहीं दूर चला जाता हूँ 

तुने ही गम से उबारा था तब 
तेरे गम में ही अब कहीं दूर चला जाता हूँ 

कांटें मिलें या मिले मुझको पत्थर 
तेरे दर को छोर कहीं दूर चला जाता हूँ 

बदले न बदले इस ज़माने की रश्मे 
खुद को बदल कहीं दूर चला जाता हूँ 















5 comments:

  1. तू याद रखना उस जुदाई को बेशक
    मैं मिलन को लिए कहीं दूर चला जाता हूँ

    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. उदास सी रचना ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  3. bas bloging se door mat jayeeyega ..

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  4. बदले न बदले इस ज़माने की रश्मे
    खुद को बदल कहीं दूर चला जाता हूँ bhut bhut hi acchi rachna...

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